Tuesday, December 10, 2013

Beware ! Move Aside ..... AAP Is On Its Way

सावधान ! दूर हटो … आप आ रही है। 


अपूर्व सक्सेना - जयपुर

 

ये जुमला मेरा नहीं बल्कि उन दिग्गजों का है, जिन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक छोटी सी क्रांति की चिंगारी इतना बड़ा रूप ले लेगी कि, अब उन्हें अपना वर्चस्व भी खतरे में दिखाई देता हुआ पड़ता है। हर घर, गली कोने, नुक्कड़, दुकानो, ऑफिस, ट्रेन, बस, हवाई जहाज, समाचार पत्र, न्यूज़ चैनल, न्यूज़ पोर्टल्स और इस देश के लोगो के मूंह पर सिर्फ एक ही नाम "आप" का गूँज रहा है।

स्रोत : http://economydecoded.com/


इसकी बानगी कुछ ये है :-

राहुल गांधी - कांग्रेस - "मेरे ख्याल से आम आदमी पार्टी ने लोगों को जोड़ा है जो हम जैसी पारम्परिक पार्टीयां लोगों को नहीं जोड़ सकी। हमे इससे सीखना होगा"।

आनंद महिंद्रा - उद्योगपति - "आप की धमाकेदार एंट्री दिखाती है कि हम किस तरह एक आदर्शवादी है पर कुटील नहीं और सच्चाई ही सबसे बढ़िया नीति नहीं, वरन राजनीति भी है"।

ओमर अब्दुल्लाह - मुख्य मंत्री, जम्मू - कश्मीर - "२०१४ के लिए हमारी सबसे बड़ी सीख जिसे हमें लिख लेना चाहिए और वे है कि राजनीति में किसी कमज़ोर और नए व्यक्ति को कमतर नहीं आँकना चाहिए"।

कपिल सिब्बल - कांग्रेस - " दिल्ली में आपके शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई @ अरविन्द केजरीवाल और @ आम आदमी पार्टी। आपको शुभकामनाएं।

चन्दन मित्रा - बी जे पी - " मैं मानता हूँ कि मैं निराश हूँ, मुझे आशा थी कि हम दिल्ली को बड़ी आसानी से जीत लेंगे, पर मुझे ये आशा नहीं थी कि एक नया आदमी बिना किसी एजेंडे के इतना बढ़िया कर सकता है"।

सुशील कुमार मोदी - बी जे पी -
"सलाम अरविन्द केजरीवाल, नमो कि तरह उसने भी इस देश की राजनीति की राह बदल दी है, बहुत कुछ सीखने को है इस तरह की राजनीति से"।

अन्ना हज़ारे - गांधीवादी एक्टिविस्ट - "एक दिन वो (केजरीवाल) अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं की ताकत से मुख्य मंत्री बन जाएगा"।

निर्मला सीतारमन - बी जे पी - " आप की बहुत ही तगड़ी शुरुआत, पर पता नहीं कि ये आगामी आम चुनाव तक रहेगी कि नहीं। हम आप को तोडना नहीं चाहते और न ही उनके किसी उम्मीदवार को लेना चाहते हैं"।

विजय गोयल - बी जे पी - "हमने आप को हमेशा एक प्रतिद्वंद्धी की तरह देखा और इन्हे दो अंकों तक पहुँचते हुए देख रहे थे पर इन्होने जो किया वो काफी आश्चर्यजनक है"।

चेतन भगत - लेखक -
जियो @ अरविन्द केजरीवाल। क्या सबक सिखाया है। ज़िन्दगी भर याद रखेंगे"।

डॉ। हर्ष वर्धन - बी जे पी - मुख्य मंत्री उम्मीदवार - "मैं केजरीवाल और उनकी पार्टी को उम्मीद के उलट उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए बधाई देता हूँ"।

दिग्विजय सिंह - कांग्रेस - मेरे विचार से ये लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत है, एक पार्टी जो की साल भी पुरानी नहीं है, उसने अपने लिए जगह बनाई है"।

उद्धव ठाकरे - मुख्या - शिव सेना - "केजरीवाल नाम के एक नौजवान ने बड़ी ही बहादुरी से कांग्रेस और नरेंद्र मोदी की मजबूत चुनौती को सफलतापूर्वक लड़ा है। ये ( आप ) चुनौती सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि ये चुनौती देश की सभी राजनीतिक पार्टीयों के लिए है"।

स्रोत : http://arvindkejriwal.co.in/aam-aadmi-party-election-symbol/
 

















मेरे ख्याल से "आप" का सम्बोधन इस देश में इतनी बार कभी नहीं हुआ होगा कि जितना की चुनाव के नतीजों के बाद। आखिर ऐसा क्या हो गया कि अचानक, तेरह महीनो पुरानी एक अदनी सी पार्टी इतना बड़ा उलटफेर कर दे, ऐसी कौन सी जादू की छड़ी "आप" के पास आ गयी जिसने लोगों की नब्ज़ को टटोल लिया पर बड़े बड़े दिग्गज जनता की नब्ज़ को नहीं टटोल पाये।

इसका जवाब हम सभी के पास है पर हम उसे कहने या पहचानने से कतरा रहे है और वो है, अपने देश के प्रती ईमानदारी के भाव से देश और देशवासियों के लिए राजनीति करना, पर राजनीति के क्षेत्र के दिग्गज कर रहे है इसका उल्टा। आज इन राजनीतिज्ञों के मायनो में राजनीति - लूट पाट, हिंसा, दंगे, हत्या, फ़िरौती, भ्रष्टाचार, वित्तीय घोटाले, बिचौलिये, अवैध कमाई, कमज़ोर वर्ग का शोषण, हठीलापन, पद का अहंकार आदि बन गए हैं।
और जब इस देश की जनता इन टुच्चे लोगो को यह करते हुए देखती है तो वह भी टुच्चेपन पे उतारू हो जाती है।

ज़रा सोचिये जो पार्टीयां जोड़ तोड़ की राजनीति में अपने कई गुल खिला चुकी हो आज वही पार्टीयां नैतिकता की ज़मीन पर अपने को पदस्थ कर रही है, किसी भी उम्मीदवार का कोई मोल भाव नहीं हो रहा, नहीं तो क्या चार सीटें भाजपा के लिए जुटाना कोई बडा मुश्किल वाला काम है ? ऐसा क्यूँ हो पा रहा है कभी सोचा है आपने ? प्रशन जितना सीधा उसका उत्तर उतना ही आसान। इन दिनों में जिस तरह की राजनीति आप ने कर के दिखाई है उससे न सिर्फ देश की जनता बल्कि राजनीति के धुरंधरों ने भी बड़ी बारीकी से देखा, समझा और परखा है। "आप" ने जिस पारदर्शिता से अपने चुनाव के लिए खर्च की सीमा रखी और फिर पार्टी के चंदे का ब्यौरा अपनी वेबसाइट पर दिया है ऐसा किस राजनीतिक पार्टीयों ने अभी तक कर के दिखाया है, ये ज़रा सोचने की बात है।
करीब एक साल पहले का मुझे एक वाक्या याद आ रहा है, जब मैंने "आप" के जयपुर पदाधिकारियों से "आप" को बनाने के पीछे की रणनीति के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि "आप" राजनीति करने का अपना स्तर इतना ऊंचा रखेगी की दूसरी बड़ी स्थापित राजनीतिक पार्टियों को न चाहकर भी अपने स्तर को "आप" के स्तर  तक पहुँचाना होगा वर्ना ये जनता की नज़र से उतर जायेंगे, और देखिये इसकी झलक हमें साफ़ दिखाई देने लगी है, ये हमारे लोकतंत्र के लिए एक बड़े परिवर्तन का संकेत है, जो हमारे देश और देश की जनता के उज्ज्वल भविष्य के लिए हितकारी होगा।      

"आप" के राजनीति में पदार्पण करने से एक नयी सोच सामने आ रही है, इस देश की जनता जागरूक होती हुई नज़र आ रही है, लोगों का विश्वास "आप" के तरह की राजनीती में बढ़ता जा रहा है, आम आदमी एक नया सूरज उग गया है जिसकी किरणे हमारे अंतर मन में एक नयी रोशनी पैदा कर रही है अचानक लोग बदले बदले से नज़र आने लगे है पर ये तो सिर्फ एक आगाज़ है उस आने वाले कल के भारत, के नव निर्माण का।   

Sunday, September 29, 2013

List of Corruptions in India












This thought provoking video is a courtesy of (India Against Corruption) - IAC - Eye Opener. The video has a comprehensive list of Corruptions in India since Independence. 

Tuesday, September 3, 2013

Yes !! Mr Prime Minister

Yes Mr. Prime Minister. You are very right in your notion. We have never seen nor heard about any Prime Minister of other Nations.

That leaves us with a very important question in our minds, why are the people of this country besides the opposition are hell bent in targeting you ?



Is it because you are seen as soft target or is it because you have never taken tough decisions, when ever this Nation required it from you.

Mr Prime Minister there have been many instances when the countrymen felt cheated by your government, specially when it comes to Lokpall Bill, Keeping political Parties out of RTI ambit or despite SC ruling on tainted politicians the whole political chooses to change the law itself, so that accused and corrupt politicians get room to stand in elections and play their games for yet another five years. What an apathy the people of this country are going through you can very well understand.

In times of grave economic conditions the country is looking to you for stricter reforms, but what we come across is yet another scam or a CD expose or Coalgate files go missing or if not these then a mud slinging match between Cockroaches and Frogs, do we give votes to you or the other case.


Source: Dainik Bhaskar

Monday, April 29, 2013

Exposed - Police in India

A well known open secret about police was exposed in Rajasthan Patrika in one of their Sunday Jacket Editions.

The expose reveals the sorry state of Police affairs in the State and the Country. Our heads go down in shame, but not theirs. The Editorial by Mr. Gulab Kothari, Owner Rajasthan Patrika rubs more salt by his witty observations about them.

Please read full story here :  Exposed - Police in India

Saturday, January 5, 2013

अपनी गलतियों को क्यों नहीं मानते - ये नेता

मध्य प्रदेश के बी.जे.पी नेता और कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अपने बयान पर खुद उस वक़्त फँस गए जब टाइम्स नाओ ( Times Now ) के
मुख्य सम्पादक - अर्नब गोस्वामी के शो न्यूजआवर ( Newshour ) में पूछे गए सवालों में उलझे हुए पाए गए। सवालों का केंद्र बिंदु कैलाश विजयवर्गीय का वो विवादास्पत  बयान था जो उन्होंने मध्य प्रदेश में एक कार्यक्रम के दौरान दिया। विजयवर्गीय का कहना था कि अगर आज की महिलाएं, सीता की तरह अपनी मर्यादा (लक्ष्मण रेखा ) को पार करेगी तो रावण उनका अपहरण कर ले जाएगा।

उपरोक्त कार्यक्रम के दौरान विजयवर्गीय काफी उग्र और असहज नज़र आये पर उन्होंने, अपने बयान के लिए माफ़ी नहीं मांगी और अपनी बात को सही ठहराते रहे। अब आपको तय करना है की ऐसी विकृत्त सोच रखने वालों को क्या सज़ा देनी चाहिए। इस मानसिकता का शिकार सिर्फ विजयवर्गीय ही नहीं बल्कि अन्य कई नेता और इस देश की महान हस्तियाँ हैं। आर.एस.एस मुखिया मोहन भागवत का भारत और इंडिया वाला वो बयान जिसमें उनका कहना है कि बलात्कार के मामले इंडिया में ज्यादा पाए जातें हैं भारत में नहीं। अब आप ही इनसे पूछिए की ये कहाँ रहतें है भारत में या इंडिया में ?

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सुपुत्र अभिजीत मुखर्जी का वो बयान की प्रदर्शनों में स्टूडेंट्स नहीं बल्कि महिलाएँ सज धज कर अपने सौंदर्य का प्रदर्शन करने अपने बच्चों सहित आती हैं उनकी अपरिपक्व मानसिकता को दर्शाता है।

हमारे देश में इन जैसे लोगों के विवादास्पत बयानों को देने वालों की कमी नहीं ज़रा इन पर नज़र दौड़ाइए ;

कांग्रेस सांसद संजय निरुपम ने हाल ही में भाजपा सांसद स्मृति ईरानी के लिए कहा कि राजनीति में आये स्मृति को सिर्फ चार दिन हुएं हैं और आप राजनीतिक विश्लेषक बन गयी, टीवी सीरियल में ठुमके लगाने वाली अब चुनावी विश्लेषक बन गयी '.

हिमाचल प्रदेश में एक चुनावी रैली के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने शशी थरूर की पत्नी सुनंदा थरूर के बारे में एक टिपण्णी की, "क्या तुमने कभी 50-करोड़ रुपये की प्रेमिका को देखा है?"

उत्तर प्रदेश के सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव बाराबंकी में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए कहा की  " समृद्ध वर्गों से आयी महिलाओं को जीवन में प्रगति करने का मौका मिलता है, लेकिन याद रखें आप ग्रामीण महिलाओं को एक भी मौका नहीं मिलता है क्योंकि आप आकर्षक नहीं हैं.''

जया बच्चन ने जब महाराष्ट्र में मराठियों से हिंदी में बात न करने के लिए माफ़ी मांगी तो एम्.एन.एस  के नेता राज ठाकरे ने मराठी में कहा कि "गुड्डी बुढ्ढी झाली पण अक्ल आली नहीं." (गुड्डी बुढ्ढी हो गयी है, लेकिन उम्र के साथ अक्ल नहीं आयी है).

सुशील कुमार शिंदे ने राज्यसभा में असम में जातीय हिंसा पर एक बहस के दौरान सपा सांसद जया बच्चन से कहा, "ध्यान से सुनो बहन, यह एक गंभीर मामला है न कि किसी फ़िल्मी कहानी का सब्जेक्ट ."
       
आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी के मुखिया बोत्सा सत्यनारायण का कहना है कि " सिर्फ इसलिए की भारत आधी रात को स्वतंत्र हुआ था इसका ये मतलब नहीं की औरतों को रात में घूमने की आजादी मिली है, बल्कि उन्हें यह देखना और समझना चाहिये की वे रात को उस बस में न चढ़े जिसमे कम यात्री सफ़र कर रहे हों,"      

जब देश में ऐसी घटिया सोच के लोग हम पर राज करेंगे ( कर रहे हैं ) तो ये हमारे देश को कहाँ लेकर जायेंगे ये सोचने की बात है, और अगर नहीं भी सोचेंगे तो क्या होगा, ज्यादा से ज्यादा इस लिस्ट में कुछ नाम और जुड़ जायेंगे, और में इसी तरह कुछ नाम और जोड़कर एक और आर्टिकल लिखूंगा और आप इसे पढ़कर मंद ही मंद मुस्कुरा रहे होंगे हैं न ?